आंसुओं की भाषा और दिल के जज्बातों को
हर कोई समझता कहां
तो फिर क्यों सबके सामने इन्हें व्यर्थ बहाना!!
क्यों सबको अपनी दुःख तकलीफों का दुखड़ा सुनाना
लोग सुनेंगे और देंगे तुम्हें झूठी तसल्ली लेकिन
पीठ पीछे वही तुम्हारे ,जज्बातों का माखौल उड़ाएंगे
इसलिए मत ढूंढिए कोई कांधा आंसू
बहाने और अपना दिल ए हाल सुनाने के लिए
खुद को करिए मजबूत,खुद सुलझाइए ना अपनी
उलझनों को और हां इन आंसूओं को कमजोरी नहीं,
अपना संबल बनाओ,कुछ वक्त जरूर लगेगा
लेकिन देखना आज नहीं तो कल अपनी मुश्किलों से
लड़ने का हौंसला आपको जरूर मिलेगा।।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati