📚✨ “एक किताब जो पहाड़ की खामोशियों को आवाज़ देगी…”
#ComingSoon
“जब पहाड़ रो पड़े” — धीरेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा
कुछ किताबें पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं।
यह कहानी नहीं, एक पीड़ा है जो सदियों से चुप थी — अब शब्दों में ढल रही है।
यह किताब उनके लिए है:
🌿 जो अपने गाँव की मिट्टी को आज भी दिल में बसाए हुए हैं,
🌄 जो शहर की चकाचौंध में खोकर भी पहाड़ की सादगी नहीं भूले,
👵 जिनकी यादों में दादी की कहानियाँ, माँ की थाली, और पापा की चुप्पी आज भी जिंदा है।
“जब पहाड़ रो पड़े” सिर्फ एक शीर्षक नहीं,
यह एक पुकार है उन गांवों की, जिन्हें हमने पीछे छोड़ दिया —
पर उन्होंने आज तक हमें छोड़ा नहीं।
📖 इसमें हैं —
• माँ की अधूरी पुकार
• पिता की खामोश मेहनत
• वीरान गांवों की आवाज
• और एक सवाल — क्या हम कभी लौटेंगे?
🌸 अगर आपने कभी गाँव छोड़ा है,
तो इस किताब में आप अपना ही चेहरा पाएंगे —
एक ऐसा प्रतिबिंब जो आपको भीतर तक छू जाएगा।
💌 “बुक लवर्स, यह सिर्फ किताब नहीं, एक वादा है — लौटने का, समझने का, और जोड़ने का।”
🕊️ Coming Soon… Stay Tuned
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