मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये
बड़ी चोट खाई (जवानी पे रोये - २)
मुहब्बत की झूठी ...
न सोचा न समझा, न देखा न भाला
तेरी आरज़ू ने, हमें मार डाला
तेरे प्यार की मेहरबानी पे रोये, रोये
मुहब्बत की झूठी ...
खबर क्या थी होंठों को सीना पड़ेगा
मुहब्बत छुपा के भी, जीना पड़ेगा
जिये तो मगर ज़िन्दगानी पे रोये, रोये
मुहब्बत की झूठी ...
💕
- Umakant