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### **बेवफा तेरा धोखा (ग़ज़ल)
तेरे वादों का रंग था कितना सुहाना,
बेवफा, तेरा मेरे दिल को ठुकराना।
चाँद सा चेहरा तेरा, बातें थीं शहद सी,
क्यों बन गई तू मेरे लिए ज़हर सी?
तेरे ख़तों में बसी थी मेरी हर ख़ुशी,
अब उन ख़तों को जलाता हूँ मैं राख सी।
तेरे प्यार का भरोसा था मुझको बहुत,
पर तूने तोड़ दिया ,वो बन गया अब जख़्म।
तेरे बिना ये दिल अब तन्हा सा है,
हर धड़कन में बस अब तेरा दर्द ही बसा है।
तेरी हँसी में मेरा जहान बसता था,
अब वो जहान दोज़ख बन गया मेरे लिए ।
तेरे झूठे कसमों ने मुझको तोड़ा,
दिल का हर कोना तूने, अब खोखला छोड़ा।
कभी तू मेरी थी, मेरी हर ख़ुशी की वजह,
अब तू किसी और की, मेरे दर्द की वजह।
तेरे इश्क़ में डूबा था मैं बेकरारी से,
तूने छोड़ा मुझे, बेवफाई से मारा मुझे ।
तेरे जाने से रातें मेरी स्याह हो गईं,
ख्वाबों की चादरें भी अब कहर सी हो गईं।
तेरे नाम की माला जपता था मैं रात-दिन,
अब तेरे नाम से भी मेरा दिल है नाराज़-ज़िन।
तेरी यादें अब साये की तरह पीछा करें,
हर कदम पर मुझको ये तड़पाएँ जैसे।
तेरे प्यार का आलम था मुझको गवारा,
पर तूने तो दिया बस धोखे का सहारा।
तेरे वादों की कश्ती में सवार था मैं,
बीच मझधार में डूबा, बेकार था मैं।
तेरे होंठों की वो लाली, वो बातें प्यारी,
सब झूठा था, बस थी तेरी बेवफाई भारी।
तेरे बिना ये दिल अब सिसकता है रोज़,
हर आह में बस तेरा नाम है गहरा सोज़।
तेरे इश्क़ ने मुझको जलाया है इस क़दर,
अब राख में भी तेरा अक्स है पूरा,पूरा।
तेरे धोखे ने मुझको सिखाया है जीना,
अब किसी के वादों पर ना होगा यकीना।
तेरे प्यार की सैर कर मैं हारा हूँ,
बेवफा, तेरे धोखे से मैं मारा हूँ।
20.
अब तेरे बिना भी जी लूँगा मैं सुहेल,
पर ये दिल कहता है, तू थी मेरी ज़िंदगी
को तबाह कुँ करने वाली।
लेखक।
सुहेल अंसारी। सनम
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