*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*झरना, मधुकर, वंशिका, आँसू, कुटीर*
आँखों से झरना बहा, दिल में उठा गुबार।
पहलगाम को चाहिए, अब केवल प्रतिकार।।
मधुकर उड़ता बाग में, गाता है मृदु गान।
आमंत्रित करती कली, दे कर मधु मुस्कान।।
प्रेम-वंशिका बज रही, कृष्ण राधिका धाम।
मुदित गोपिका नाचती, बसे यहाँ घन-श्याम।।
बहते आँसू रुक गए, नाम दिया सिंदूर।
आतंकी गढ़ ध्वस्त कर,शरणागत-मजबूर।।
जनसंख्या की वृद्धि जब, हों कुटीर उद्योग।
अर्थ-व्यवस्था दृढ़ रहे, मिले सभी को भोग।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*