“गुजर गया वो जमाना कैसा-कैसा”
गुजर गया वो जमाना कैसा-कैसा
हंसी-ख़ुशी की बहार थी जिसमें
गुजर गया वो जमाना कैसा-कैसा
गुजर गया
फुल तमन्नाओं के जितने
क़दम-क़दम पर खिलते थे
अब वो ही रास्ता उजड़ा बन गया है
जिसका है आना-जाना कैसा-कैसा
गुजर गया वो जमाना
हंसता हुआ एक राज़ है जिसमें
कोना-कोना रोशन था ऐसा बुझा के
ऐसा बुझा के दोबारा जिसको
मुमकिन नहीं जलाना कैसा-कैसा
गुजर गया वो
गया जमाना फिर आएगा
जाने वाले जाएँगे
गया जमाना फिर आएगा
जाने वाले जाएँगे
हमको ना पहचानेगा जो कोई
हम भी हम भी
हम भी क्यों पहचानेंगे
अ जा अ जा
🙏🏻
- Umakant