कुछ तो बात है गरीबी में भी की हजारों अनजान लोगों के होने पर भी चैन की नींद से सोते है
न तो कल की चिंता नहीं आज के बीत जाने का गम, क्या खाया आज क्या खायेंगे कल किसी की भी नहीं पड़ी है
बस आसमान एक विशाल छत और ये जमीन अपनी मां का अंचल जिसमें सारे गम भूलकर एक चैन की नींद आती है ।