हर बार तू ही सही हो, ये ज़रूरी तो नहीं,
हर बार मैं ही झुकूँ, ये मंज़ूरी तो नहीं।
कम से कम एक बार तो बात कर लेती,
मैं तो कब से तैयार थी, बस तू मना लेती।
तेरी चुप्पी ने तोड़ दिया मुझे अंदर से,
मैंने तो हर मोड़ पर तुझे अपना ही जाना।
अब भी दिल में बस एक ही आरज़ू है,
काश एक बार कह देती — “चल यार,फिर से बात करतेहैं
- Miss lekhikha