“तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या? “
तन से तन का मिलन
हो न पाया तो क्या?
मन से मन का मिलन
कोई कम तो नही?
खुशबू आती रहे
दूर से ही सही
सामने हो चमन
कोई कम तो नहीं?
चाँद मिलता नहीं
सबको सँसार में
है दिया ही बहुत
रोशनी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया
किसी के लिए!
🥵
- Umakant