स्वाभिमान अब बहुत घना है.....
स्वाभिमान अब बहुत घना है।
भारत उन्नत देश बना है।।
माना सदियों रही गुलामी।
शोषण से हर हाथ सना है।।
सद्भावों के पंख उगाकर।
वृक्ष बसेरा बड़ा तना है।।
आक्रांताओं ने सुख लूटा।
इतिहासों का यह कहना है।।
झूठ-फरेबी बहसें चलतीं।
कहना-सुनना नहीं मना है।।
रहें सुर्खियों में हम ही हम।
समाचार-शीर्षक बनना है।।
मानवता से बड़ा न कुछ भी।
इसी मार्ग पर ही चलना है।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*