हमें अब उस रिश्ते की चाह नहीं
जिस रिश्ते को हमारी परवाह नहीं
ज़ेहन में जो उथल पुथल मचाता हो
आँखें अब उसकी देखती राह नहीं
ख़ुद ही संभाल लेंगे अब बिखरेंगे तो
धोखे खाकर चाहिए अब सलाह नहीं
पल पल ज़बान बदलने वाले के पीछे
ज़िंदगी अब और करनी तबाह नहीं
- DINESH KUMAR KEER