चल पड़ा में अपनी मंजिल की ओर।
दिल में उठा शोर बड़ा हर कदम पर है जड़िल बड़ी।
चलता रहा में अपने आप छोड़ के सारी हसरत को,
मोड़ आए हर राह पर बेशुमार,
हर मोड के तूफान को समेट कर निकला में आगे,
सोच को करके बुलंद में,करता रहा में हर राह सुग़म,
ओर बनाता रहा खुद का बसेरा।
- Kamlesh Parmar