"सबके हिस्से में नहीं आता "
ये जमीं ,ये आसमान ,
ये खुशी, ये मुस्कान,
रोटी कपड़ा और मकान,
सबके हिस्से में नहीं आता।
ये एतबार,ये प्यार,
ये आंसू, ये इंतजार,
सुकून भरा एक इतवार,
सबके हिस्से में नहीं आता।
ये मंजिल,ये रास्ता , ये सफर ,
ये रात, ये शाम, ये शहर,
हाथ पकड़ के चले वो हमसफर
सबके हिस्से में नहीं आता।
बेशक ये किसी कहानी
किसी किस्से में नहीं आता,
के जिंदगी मिलती है , मगर जीना
सबके हिस्से में नहीं आता।।
:~writer.tanu_✍️