बहुत सी बातें होती है जिनकी शिकायतें नही होती, बस तकलीफें होती है और तकलीफ ऐसी जिसमे दर्द नही होता सिर्फ ठेस लग जाती है हमारी उम्मीदों को, हमारे भरोसे को, हमारे व्यवहार को, और खुद के स्वभाव को..... फिर भी हम बिल्कुल सामान्य दिखाने की कोशिश करते , न कोई शिकायत न कोई उखड़ा व्यवहार... बस खुद को सीमित कर लेते , थोड़ा चुप हो जातें, थोड़ा पीछे हट जाते, थोड़ा व्यस्त थोड़ी उपेक्षा, पर बातिन जाहिर नही करते... हल्का सा मुस्कराकर सब आसान कर देते, बस यही एक आदत हर बुरी लगने वाली बातों से कब छुटकारा दिला देती, हमे पता भी नही चलता... हम बदल चुके होते..... सालों साल बाद किसी को लगता है हम बदल गए है तब एहसास होता हाँ हम बदल तो गए है.... लेकिन फिर से बदल जाएं इतनी सहनशक्ति नही बचती ।