मैं और मेरे अह्सास
हृदय वेदना किसी को भी दिखा ना पाये l
दिल के गहरे ज़ख्म मुकम्मल मिटा ना पाये ll
अपनों की साज़िशो को तारीख में ठीक से l
मोहब्बत का महाभारत लिखा ना पाये ll
उम्रभर अपनों की रंजिशें सही जैसे तैसे l
दो लम्हे भी चैन ओ सुकूं से बिता ना पाये ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह