तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया
पल-भर में उस की शक्ल न आई अगर नज़र
यक-दम उलझ के रिश्ता-ए-अन्फास रह गये
फ़ोटो में दिल की चोट न तब्दील हो सकी
नक़लें उतार उतार के अक्कास रह गया
वो झुटे मोतियों की चमक पर फिसल गई
मैं हाथ में लिए हुए अल्मास रह गया
इस हम-सफ़र को खो के ये हालत हुई’अदम’
जंगल में जिस तरह कोई बे-आस रह गया
….अब्दुल हमीद अदम
💕
- Umakant