माँ कहती थीं पुण्य से मिलती हैं बेटियाँ माँ कहती हैं तो ठीक ही कहती होंगी ! पाँचवी में ही भरम टूट गया स्कूल से देर से आने पर माँ को बेचैन देखा ! सौ हिदायतें सुनी तब नहीं समझी थी.... थोड़ी सी देर से इतनी चिंता क्यों? पर मन में कुछ खटकता रहा !
माँ ने लड़कियों की स्कूल में पढ़ाया सलवार कमीज पहनाया चुन्नी संभालना सिखाया पर माँ ! ये काफ़ी नहीं है.....
अब समझ आया ! क्यों जन्मते ही अफीम रख देते थे ज़बान पर क्यों दादी ने कहा था "छाती कूटा" हमारे जन्म पर क्यों थाली नहीं बजती क्यों सोग पसर जाता है घर में
आज जब दादी की जुबान का खारापन अपनी जुबान पर आया.. तब समझ आया ! इस विष बेल की जड़ें कहाँ हैं...?!
- pooja