Quotes by VIRENDER VEER MEHTA in Bitesapp read free

VIRENDER  VEER  MEHTA

VIRENDER VEER MEHTA Matrubharti Verified

@veermehta
(133)

शव से शिव की ओर जाना. . .
(मात्र एक विचार-चेतना)

यह एक शाश्वत सत्य है कि इस सृष्टि पर जन्म लेने वाला प्रत्येक जीव जीवन के प्रति लालायित है, लेकिन ये भी एक सार्वभौमिक सत्य है कि जैसे ही कोई जीव उत्पन्न होता है, वहीं से वह मृत्यु की ओर अग्रसर होना (गति करना) आरंभ कर देता है, अर्थात 'शव' होने की प्रक्रिया की तरफ गति करने लगता है। इसीलिए कहते हैं 'राम नाम सत्य है, सत्य बोलो गत्य है'
लेकिन क्या हम जानते हैं? मृत्यु अंतिम सत्य नहीं है, अंतिम सत्य है शिव। वही सत्य है, वही सुंदर है। अर्थात शिव को पाना ही एकमात्र रास्ता है मृत्यु की दिशा में ,शव की दिशा में। और यही रास्ता है सत्य की दिशा में।

वस्तुतः शव होना ही वास्तव में शिव का होना है, अर्थात मृत्यु के बाद सभी को शिव के साथ एकाकार हो जाना है। भले ही इस सृष्टि में हम डॉक्टर-इंजीनियर, अमीर-ग़रीब, साधु-संन्यासी, बुद्ध-महावीर, राम-कृष्ण बन जाएं लेकिन सभी का अंतिम पड़ाव 'शव' ही है। और जब अंततः शिव (शव) ही होना है तो जीते जी शिव होने का प्रयास क्यों नहीं?
प्रत्येक व्यक्ति शिव बन सकता है, और जो शिव बनता है, वही शव अर्थात मृत्यु के ऊपर विजय पा सकता है। संसार में हर पल अनगिनित जीव शव बनने (मरने) के लिए तैयार हैं, लेकिन उसमें से बहुत से व्यक्ति (या साधु-संन्यासी, अघोरी) शव से आगे बढ़कर शिव को खोज रहे हैं, शिव बनने के लिए लगे हुए हैं। लेकिन क्या वे सच में 'शिव' होने की राह पर हैं या केवल भ्रम में हैं।
वास्तव में 'सत्य' को पाना ही शिव को पाना है, सत्य की ओर चलना ही शिव की खोज़ है, वरना असत्य की बेड़ियों में तो हम जकड़े ही हुए हैं; जिन्हें चाहे-अनचाहे अपने असत्य कर्मों से हम इन्हें (बेड़ियों को) और अधिक पुख़्ता करते जा रहे हैं।

और, 'हमें सत्य की ओर चलना है' सिर्फ यह कहने से भी काम नहीं चलेगा, क्योंकि 'सत्य' तो रेगिस्तान में पानी की वह बूंद है, जिसे ढूढ़ना बहुत-बहुत कठिन है। अगर हम अपने चारों ओर संसार में देखें, तो संसार की हर वस्तु हमें असत्य की ओर खींचती है और वास्तव में असत्य से ही तो संसार चलता नज़र आता है। असत्य तो अपने अनगिनित रूप में हमें मिलेगा, लेकिन सत्य का मिलना इतना सहज नहीं है।
इसे पाने के लिए हमें अपने शब्दों, विचारों, कर्मों, और इच्छाओं सभी को सत्य करना पड़ेगा। जब अंतःकरण और बाह्य करण, सब कुछ सत्य होगा, तभी तो सत्य की खोज़ का आरंभ होगा, तभी तो शिव की ओर चलने की यात्रा का आरंभ होगा।
क्या तैयार हैं हम सत्य की खोज़ के लिए. . . ?
शव से शिव की ओर जाने के लिए. . .?

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

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// वीर //

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‼️ अष्ट सिद्धि जिनकी पहचान,‼️
‼️ वो हैं संकट मोचन हनुमान। ‼️

#हनुमान_विजयोत्सव ...
भगवान शिव के 11 वें अवतार और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के सर्वप्रिय भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव आज (चैत्र मास की पूर्णिमा) मनाया जा रहा है, लेकिन हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते कि बाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को स्वाति नक्षत्र में हुआ था। और उसके अनुसार उनका जन्मोत्सव तभी मनाया जाता है। अर्थात इस प्रकार हनुमान जी एकमात्र देव हैं जिनका जन्मोत्वस दो बार मनाया जाता है।
दरअसल आज मनाए जाने वाले जन्मोत्सव को विजयोत्सव का रूप माना जाता है, जिसके मूल में उनसे जुड़ी कथा का विशेष महत्व माना जाता है जो इस प्रकार है, और शायद लगभग हम सभी उसे जानते भी हैं।

इस कथा के अनुसार एक बार बाल्यावस्था में भूख लगने पर अपनी अतीव शक्तियों के दम पर 'सूर्य' को उन्होंने फल समझकर खा लिया था। यह वही समय था जब राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने आया था लेकिन जब उन्होंने हनुमान जी को सूर्य निगलते हुए देखा तो राहु ने देवराज इंद्र से जाकर यह बात बता दी। और इस बात से इंद्रदेव ने क्रोधित होकर हनुमान जी को दंड देने के लिए उन पर वज्र का प्रहार किया। यह वज्र हनुमानजी की ठोड़ी में लगा जिससे वे बेहोश हो गए। पवन देव ने जब अपने बेटे को इस तरह से संकट में देखा तो उन्होंने क्रोधस्वरूप पूरे ब्रह्मांड में प्राणवायु को रोक दिया। इस आपात स्थिति में स्वयं ब्रह्माजी पवन देव के पास गए और बाल हनुमान को जीवनदान दिया। और मान्यता है कि वह दिन चैत्र मास की पूर्णिमा का ही दिन था। अब क्योंकि इस दिन बजरंगबली को नया जीवन मिला था, ऐसे में यह दिन उनके जन्मोत्सव (विजयोत्सव) के रूप में मनाया जाने लगा।

༺꧁ ◆ ॐ हं हनुमते नमः ◆ ꧂༻

हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई के साथ। __/\__
.... वीर।

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रंगों की बौछार नहीं, बस साथ काफी अपनों का।
जब अपनों का साथ है, चेहरा ख़ुद ही गुलाल है।।
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हो रंग-बिरंगी जिंदगी, जैसे 'गुलाल -अबीर''।
तन-मन पूरा शीतल कर दे, रंगों की तासीर।।

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ईश्वर से यही प्रार्थना है, यह रंगों का त्यौहार आपके जीवन में सुख, समृद्धि और अपार खुशियों के रंग भरे।

🌾🎈🍃 H∆PP¥ H0L! 🍃🎈🌾

.... वीर !

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शिव नाम ही शाश्वत, बाकी मिथ्या सर्व संसार।
शिव ही पूर्ण ब्रह्मांड है, शिव ही अनंत अपार।।

हाथों में त्रिशूल सजे, शीश विराजे "गंगा-धार"।
आदि देव हैं महादेव, करते जन-जन का उद्धार।

. . . ✍️ वीर!

सर्वोपरि है प्रिय शिव शंकर, सर्वोत्तम प्रिया पार्वती।
सर्वश्रेष्ठ पति प्रभु महादेव, हैं सदा सुहागन पार्वती।।


🌱।। महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं ।।🌱

🍀 ओम नमो: शिवाय 🍀

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जिन नैनों में 'कान्हा' बसें,
दूजा कौन समाए।
जब 'राधे-राधे' मन में हों,
जग 'कृष्णा' हो जाए।
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🦋🌳 राधे राधे जी 🌳🦋

शुभ प्रभात. . .
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हिन्दू वैदिक संस्कृति में सभी मतों का समान रूप से आदर किया जाता है, अतः वैदिक (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) नव वर्ष न होते हुए भी हम परिवार सहित आपको अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं। शुभकामनाएँ।
नए उल्लास, नए उत्साह, नई उमंगें।
नव वर्ष शुभ हो।
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We wishes the YEAR 2023 will be good for you n your family and all the wishes that you have made will come true.
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┃┗┛ APPY
┃┏┓┃ NEW YEAR
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. . . veer.

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तुम 'भगवा' केसरधारी हो।
अंनत काल अधिकारी हो।
प्रभु तुम आदि हो अंत हो।
संपूर्ण सृष्टि के अनादि हो।

🏹 🏹 जय श्री राम। 🏹 🏹

. . . 🔆 🧡 🔆 शुभ प्रभात।

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गिरना आसान होता है, और गिराना उससे भी आसान होता है, लेकिन किसी का हाथ पकड़ कर उसे आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल होता है।
मंगलमय दिन की कामना के साथ. . .
शुभ प्रभात।

// वीर //

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╰╮Learn from the SUN
╭╯that rises everyday
╰╮from the darkness.
╭╯You too can shine, so try
╰╮to be like the sun n shine
╭╯forever . . . ✍️ ƔЄЄR
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आख़िर कब तक. . .

आख़िर कब तक हम एक बुराई के प्रतीक 'दशानन' को जलाकर औपचारिकता निभाते रहेंगे ?
हमारी परम्पराएं हमें सिर्फ़ अतीत को जीवित रखने का संदेश ही नहीं देती बल्कि आने वाले समय में उन ग़लतियों को दोहराने से बचने का आह्वान भी करती हैं जो हम अतीत में कर चुके हैं

हमें बाहर के रावण के साथ अपने भीतर के रावण को भी जलाना होगा। हमें समाज के उन दशाननों को भी नष्ट करना होगा जो अपने दस रूपों से समाज को बद से बदतर बनाते जा रहे हैं।

हमें 😈 क्रोध,😈अहंकार,😈मोह, 😈स्वार्थ,
😈मद/अतिविश्वासी, 😈काम वासना,😈अमानवता,😈लोभ/लालच,😈ईर्ष्या/जलन और 😈अन्याय/क्रूरता जैसी दस बुराईयों को नष्ट करने का प्रयास करना होगा।
अपने अंदर से ही नहीं समाज से भी. . . !

आप सभी को परिवार सहित 'दशहरा पर्व' की बहुत बहुत शुभ कामनाएं ।

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// वीर //

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