ऐ दिल ये नादानी ठीक नहीं
किसी की इतनी कद्र दानी ठीक नहीं
इश्क़ कर बेहद कर किसी से मगर
तन्हा रातों में यूँ पशेमानी ठीक नहीं
वो चला गया भूल जा उसे अब तू
उस बेदर्दी से आस लगानी ठीक नहीं
बातें कर रहे हैं नज़दीकियां बढ़ाने को
सँभल जा तू फिर से ये मेहरबानी ठीक नहीं
इश्क़ किया था तूने गुनाह नहीं किया
फकत एक गलती पर इतनी परेशानी ठीक नहीं
जिंदा हैं तो हँसकर खुलकर जी ज़िन्दगी
फ़िराक़ में यूँ मर मर कर तन्हा उम्र गँवाना ठीक नहीं...!!!