सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक वह आश्रम में रोटियां बनाती है पांच सौ, हज़ार ! दो हजार ! कभी कभी इस से भी ज्यादा !
कई और महिलाएं हैं मगर बात करना मना है कह नहीं सकती वो महिला संवेदनशील है या नहीं, हुई तो ...!?
वो कविता लिखना नहीं जानती हुई तो ! बात नहीं कर सकती हुई तो..!? दुःख नहीं कह सकती हुई तो..?!
तो मानसिक संवेगों को थामने के लिए क्या करती होगी मैं उन औरतों के बारे में बहुत सोचती हूँ जिनके पास भाषा, लिपि और शब्दों को ज़ाहिर करने का जरिया नहीं है.......
- pooja