मैं और मेरे अह्सास
कृष्णा के विरह की वेदना किसीने ना जानी l
बिना कृष्ण के फिरती कायनात में दिवानी ll
कृष्ण के बेपन्हा बेइंतिहा प्यार में पगली को l
दुनिया की हर रीति हर रस्में लगती है फानी ll
जोगन बन के गाँव गाँव गली गली फिरती l
कृष्ण के दर्शन करेगी दिल ने कबकी ठानी ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह