मैं और मेरे अह्सास
आसमाँ में चमकते सितारें में ख़ुद का सितारा ढूँढ रहे हैं ll
इतनी बड़ी आकाशगंगा मे कोई तो अपना
ढूँढ रहे हैं ll
निकल पड़े है हौसलों को के साथ दिल में
आश लिए l
बीच सफ़र रास्ता भूल गये हैं और ठिकाना
ढूँढ रहे हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह