एक कवि प्रेमी अपनी प्रेमिका को एक डायरी देता है उपहार के रूप मे ।
वो उसे वो डायरी देते हुए कहता है …
जब भी मैं तुम्हारे पास ना रहूं ,और तुम्हे मेरी याद सताए ,तो इस्में मेरे बारे में लिखना , हमारे बारे में लिखना , कुछ शिकायते लिखना ,बहुत सारे जज्बात लिखना । ख्वाहिशें लिखना , राज लिखना , डर भी लिखना । हमारे साथ बिताए बीते पल लिखना, जो हम साथ बितायेगे उन पलो को भी लिखना ।
जो बाते ना बोल पाओ किसी से भी वो सारी बाते इसमें लिखना । …
जब हमारा मिलन होगा तब साथ मिलकर इसको पढ़ेंगे ।
यादों की कस्ती वक्त के साथ कुछ यू ही बह गई , प्रेमी और प्रेमिका का मिलन न हो सका ,पर वो डायरी प्रेमी के पास आ गई ।
वो उसको पढ़ता है.…
अपनी प्रेमिका को ऐसा तोहफा कोन देता है , क्या करूंगी मैं इसका , कवि वो है मैं नही हु ।
उनके साथ रह कर मुझे भला कैसे लिखना आ जायेगा ।
पर अब उन्होंने पहला तोहफा ऐसा दे ही दिया है तो , कुछ लिखने की कोशिश मैं भी कर ही लेती हु ।
क्या क्या लिखने को कहा था उन्होंने ,शिकायते , जज्बात , हा याद आ गया ।
उन्होंने कहा था उनकी याद आए तब लिखना ,
उनको केसे समझाऊ , याद तो उनकी बहुत आती है मुझे , पर उनके जैसा लिखना नही आता ना मुझे ।
शिकायते वो तो बहुत है उनसे , सजा भी सारी सोच रखी है मेने ।
रूठने का सिलसिला कितने समय तक रहेगा। मनाने पर कितनी जल्दी मान जाना है ।
जिद और हठ किन किन बातों पर करने है , कब उनके सामने बच्चा बनना है ।
ज्यादा समझदार हम में से कोन होगा ।
उनके साथ हंसना है , उनके दुख मे दुखी होना है।
उन्होंने ये भी कहा था मुझे , साथ मिल कर हमारे मिलन के बाद पढ़ेंगे इसको। इस जन्म में न सही अगले जन्म में ही सही ।
क्या क्या लिखूं और , बस इतना ही काफी है , क्युकी कहा था ना उनके जेसे लिखना नही आता है मुझे
by rajshree chouhan