मैं और मेरे अह्सास
मनचाहे ख़्वाबों की क़ायनात हसीन होती हैं l
मनघड़त आभासी दुनिया बेह्तरीन होती हैं ll
दिल से कुबूल कर लिया है य़ह सोचकर तो l
मिलन के वक्त की सुबह शाम रंगीन होती हैं ll
मुद्दतों के बाद तो आते हैं सुहाने रसीले लम्हें l
पलभर की जुदा होने की बातेँ संगीन होती हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह