“लम्हात मुहब्बत के जहां हमने गुजारे, आलाप..
कश्मीर की वादी कि वो पुर कैफ नजरी,
लम्हात मुहब्बत के जहां हमने गुजारी,
यक तरफ ना थे हुस्न मुहब्बत की इशारा,
उसने बी कई बार मेरे बाल सावन्री,
अहसास का जज़्बात का इज़हार हुआ था,
एक हुस्न की देवी से मुझे प्यार होता...”
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- Umakant