तू कह दे तो, सच कह दु तू कह दे तो, झूठ कह दु तू कहे तो, कह दु दिन को रात कह दु सूरज को चाँद मैं तो तेरा हूँ, मैं तो तुझमें हूँ तू कह दे तो मान लूँ हर बात अगर कहने से होता सब कह दु अपना तुझे हर शाम कहने से अगर बनती हर बात कहने से बनते ग़र रिश्ते तुझे जाने कैसे देता किसी ओर के साथ नाराज थोड़ी हूँ तेरे जाने से रोना नहीं आता अब जमाने के चले जाने से क्यूकी खास रिश्ता जुड़ा है आजकल मयखाने से बैठकर देखता हूँ तस्वीरे तुम्हारी सोचता रहता हूँ बाते हमारी सोचता हूँ मैं कर सकता हूँ, जो तू कह दे कर सकता हूँ जो नामुमकिन है हर काम हाँ शिकायत है, जो रहेगी जब भी आयेगा जुबान पर तेरा नाम तुमने नहीं किया, मुझसे प्यार, मेरा इंतज़ार तुमने नहीं बताया, तुमने नहीं कहा हमारे बीच कोई था कोई तीसरा जिसे तुमने चाहा जिसकी शेरवानी से त तुमने लहंगा मैच कराया जिसे तुमने मेरे रहते अपना बनाया तुमने नहीं कहा, मैं नहीं करती तुझसे मुहब्बत मैं कह देता, मैं चला जाता बस इतना बोलकर मैं करता हूँ, मैं करता रहूँगा हमेशा तुमसे प्यार