सोचा कुछ लिखूं सिखायतें तेरी
तुझसे खूब लडू
कुछ वक़्त बीते तेरे बिना
वो वक़्त समझाऊं तुझे
वो तेरा दोस्तों के साथ मज़ाक मस्ती
और मुझे या मेरे फ़ोन, msg अनदेखा कर देना
फिर रात यही पूछना तुम ठीक हो??
माफ़ करना जनाब
मैं इंसान हूँ
चोट लगती हैँ, और दर्द भी बहुत होती हैँ
- SARWAT FATMI