हा आज उस इंसान को, कागज की पस्ती का भार उठाते देखा है, हाँ मेंने उस इंसान को अपना परिवार को संजोते देखा है, भूख लगी होती है, चेहरे की झुरिया सब बयान करती है फिर भी मैंने उस इंसान के चेहरे पे मुस्कराहट देखी है उम्र की फिकर ना करके उसे मेहनत करते देखा है कभी अपने लिए तो कभी परिवार के लिए रोते देखा है हाँ, मैंने उस इंसान को अपना परिवार संजोते देखा है MEGHA
- Megha Kothari