“एक छबि थी लाखों में
आन बसी इन आँखों में
एक कली मुस्काई थी
मन भँवरे को भाई थी
एक दिन प्यार का फूल खिला
मेरे सुर को गीत मिला
पर क़िस्मत लाई रंग नए
सुर छूटे और गीत गए
बीच भँवर तूने छोड़ा
भरे प्रेम में मुँह मोड़ा
प्यार पे ऐसा वार किया
उफ़ जीना,
उफ़ जीना दुश्वार किया”
💕
- Umakant