बीती ताहि बिसार देय अब आगे की सुधि लेह।
जो बन काटन से भरा।
फिर उस संग काहे नेह।
उस संग काहे नेह ,
मोह मद लागी।
ढूढो कोमल गात हरित हिय लागी।
तजी नींद और पाक , स्वाद हेराने।
चित्त चैन और चाम
सब हुए बेगाने।
हुए बेगाने नैन, ताहि कंचन अस खोजत।
कोमल गाल झुरान, दिन रैन में सोचत।
तुम जानत हो मृग मिला।
हम कहते मृग नाहि।
तुम कंचन पर बिछ गए।
हम वन ढूंढत माहि।
- Anand Tripathi