चुप चाप से ,बस एक टक से निहारू तुझे
अपने होने का,खामोशी से एहसास दिलाऊं तुझे
बस आँखे नम हैँ
डर हैँ के तेरी यादों मे किसी को
नज़र ना आजाये
इसलिए सोचा दबे पाओ तेरा दिदार करलुँ


- SARWAT FATMI

Hindi Shayri by SARWAT FATMI : 111949265
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