तेरे साथ चलने को तैयार हूँ
पर कुछ फ़ासले ऐसे हैँ
जो शायद
बयान नहीं कर सकती
रुस्वा किया खुद को
अब रूठ कर खुद से जा रही हूँ
- SARWAT FATMI

Hindi Shayri by SARWAT FATMI : 111948891
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