कृष्ण
द्वापर युग का तू उद्धारी,की लीलाएं अधिक
जन्म दिया देवकी वसुदेव ने
पोषण किया नंद यशोदा ने
सब बंधे तेरे ये अनुपम रूप में
स्नेह स्रोत की अविरत धारा में
मक्खन बांटनेवाला मक्खनचोर कहेलायों
मुरली बजानेवालो मुरलीधर कहेलयों
गोपसखा संग जाए गाय चराने
गोपराधा संग जाए रास रचाने
किया मुक्त असुरों से ब्रजभूमि को
दिया सुख कनैया बन के जगभमी को

- Shree...Ripal Vyas

Hindi Poem by Shree...Ripal Vyas : 111947868
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