एक बार नहीं बार-बार आता है
अंतिम ड्रैगन हर बार आता है

अपना रूप बदलता है
अपने आने का ढंग बदलता है

धीरे से आता है, छल हमसे करता है
फिर भी हमें एहसास नहीं होता है

हर चुनौती का सामना हमें करना पड़ता है

बार बार परीक्षा आती है जिंदगी में
जिंदगी में हमें सामना करना पड़ता है

साहस और शक्ति से जीना पड़ता है
हमें अपने दम पर मजबूती से खड़े होना पड़ता है

बार बार ड्रैगन हमला करता है
हमें गिरना नहीं है, उसे हम सब गिरायेंगे

यह आखरी लड़ाई है, पीछे मत हटना
दृढ़ता और अटूट शक्ति, विश्वास करना

हमें अंधकार को जीत कर प्रकाश में उभरना है
यह आखरी लड़ाई है, ड्रैगन को कुचलना है
- कौशिक दवे


- Kaushik Dave

Hindi Poem by Kaushik Dave : 111947594
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