मैं और मेरे अह्सास
सूखी धरती पर फूल उगाना चाहते हैं l
कायनात को गुलों से सजाना चाहते हैं ll
बहुत ही परेशान कर दिया है धरा को l
अब धरती को स्वर्ग बनाना चाहते हैं ll
भूल गया है अपनी जिम्मेदारीयों को l
सोये हुए इन्सान को जगाना चाहते हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह