बढ़ती उम्र में आज भी कुछ फुल
मुरझाते नहीं, बल्कि उसमें खुबसूरती का जोश भर देते हैं.
अगर बाग का माली सही हो तो आज भी पतझड़ में बसंत है
हां बड़ी उम्र की स्त्रीयों को भी हो जाता है प्रेम,
इसलिए नहीं कि वो चरीत्रहीन हे,
वो इसलिए की वो जीना चाहतीं हैं
बिसराई ओर अपनी भुली जिंदगी
जो समझे उनके जज़्बात
उसके साथ...