सोच रही हूं कितना आसान होता है
मुस्कुरा कर खुद को खुद से जुदा करना
आंखों से बेवजह सवालों का बूंदों में बहना
काश! मुश्किल न होता खुदको संभालना
अतीत के पन्नों को भूल जाने को दिल करता है
अब हार मान लेने का मन करता है .........
कोई रूठ जाए मुझसे तो छोड़ देना चाहती हूं
गलती खुद की मान कर भूल जाना चाहती हूं
मशगूल नही रहती खुद की बेतुकी बातों में मैं
फिर भी अब खामोश रहने को धड़कने कहता है
अब हार मान लेने का मन करता है .........
Manshi_K