Hindi Quote in Poem by Kaushik Dave

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समुंदर की लहरें मेरे पैरों से टकरा रही थी
मानों मेरे दिल में पुरानी यादें याद आ रही थी

लहरों का उछलना और किनारे से टकरा जाना
जिंदगी भी मेरी ऐसी ही जा रही थी

ऐसा भी वक्त था,जब खुशियां ही खुशियां थी
अचानक एक घटना से मातम छा गई थी

पुरानी यादों में मैं खो गया था
खुशियां ढूंढने का बहाना खोज रहा था


ऐसे में ईश्वर ने मुझे एक ख़ुशी  दे दी
घर में खुशियां की लहरें छा गई थी

दुखों को भूल गए, जिंदगी कट रही थी
आज पच्चीस साल पहले की यादें याद आ गई थी

घर में हर एक इन्सान के मुख पर सन्नाटा था
एक छोटी सी खुशी से मुस्कान आ गई थी

तभी समुंदर की एक लहर मेरे पैरों से टकरा गई
यह देखकर मेरे मुख पर मुस्कान आ गई
- कौशिक दवे


- Kaushik Dave

Hindi Poem by Kaushik Dave : 111945119
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