बरसात की ,,,वह जो रात आ गई ,,,,,
जो मेरे दिल को जोरों से धड़का गई,,,,,,
उस बरसात में तुम ,,,जो,बूंदों की तरह ,,,,बरसे,,
मेरे रूह को महका गई,,,,,,,,,
उस बरसात में तुम्हें ,,,,,अपने इतने पास देख,,,
होठों पर ,,,वह जो मुस्कान आ गई,,,
जो मेरे सांसों को हद से ज्यादा,,,बढ़ा गई ,,
कुछ तो था,,,तुम्हारी उन नशीली आंखों में ,,,
जो मेरे रोम रोम को जला सी गई
तुम्हारा दूर से ही मुझे,,,,,,,यूं देखना
मेरे दिल के सारे अरमान जगा सी गई
सपने संन्जोने लगी थी ,,,उस बरसात में ,,
जो सोच सोच मेरे रूह को बहेका गई
दिल किया छू लूं ,,तुम्हें,,,,,अपने इन हाथो से,,,
कमबख्त उस वक्त बरसात भी धोखा दे गई