होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो
ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
नयी रीत चलाकर तुम यह रीत अमर कर दो
आकाश का सूनापन मेरे तन्हा मन में
पायल छनकाती तुम आ जाओ जीवन में
साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो
जग ने छीना मुझसे मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना मेरी जीत अमर कर दो
होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर
- Umakant