उसकी तस्वीर ही तो नही मिली मुझे
ढूंढ रही थी अतीत के पन्नों में सिमट के
कुछ अधूरी यादों को सबूत बता के
नजरे मिली ही तो नही थी ,
दिल में उम्मीद की चिंगारी जला के .....
सब खत्म और वक्त रूठा लग रहा था मुझे
यकीन अध्यखुली आंखों पर भी नहीं हुआ था
जो बंद पड़े लबों से चर्चें कर रहा था
आंसू कई सवालों का जवाब बनने खामोशी के साथ
बड़ी शान से पलकों से लुढ़क कर आया था
कैसे रोक पाते खुद को इस तरह से
दिल में उम्मीद की चिंगारी जला के .....
-Manshi K