कर्ण
छल और दाँव के महाभारत में
"दानवीर कर्ण" सदैव विजयी है,
कौरव और कौंत्य के महाभारत में
सूतपूत्र कर्ण सदैव विजयी है।
भाई और भाई के महाभारत में
मित्रता का अद्भुत रंग "राधेय कर्ण" सदैव विजयी है।
न्याय और श्राप के महाभारत में
वचनवद्ध कर्ण सदैव सदैव विजयी है।
विजय धनुष की डंकार में
कुरुक्षेत्र के रण हुंकार में
परशुराम शिष्य की जय जयकार में
"मृत्युंजय कर्ण" सदैव विजयी है।
-Anant Dhish Aman