बचपन की बारिश और वो कागज़ की कस्ती
पानी में न चले फिर भी होठों पर हंसी
ख्वाहिश खुले आसमान को जीत जाने की
नन्हें नन्हें कदमों से बारिश में झूम कर नाचना
कितना खुबसूरत था वो बचपन
कागज के कस्ती में संवार होकर पूरे गांव को घूमना

-Manshi K

English Blog by Manshi K : 111941057
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