आज जिंदगी को मैने मौत बनते देखा है ,
किसी घर का चिराग बुझते देखा है
जिस घर में कल तक थी खुशियां
उस घर में खुशियों का समशान बनते देखा है
आज जिंदगी को मैने मौत बनते देखा है....
कैसी बनाई है परंपरा खुदा अपनों को रोते देखा है
कल तक थी दूरियां जिनसे उन्हें भी लिपट कर रोते देखा है
महज सांसों का चला जाना शरीर से यादों को मिटते देखा है
आज जिन्दगी को मैंने मौत बनते देखा है......😢
-Manshi K