🦋...सुनो
उसने कहा, ज़ख्मी तुम सिर्फ दर्द क्यों
लिखते हो, प्रेम लिखा करो ना,
मैंने कहा, यही तो है जो मेरा अपना है
प्रेम ठहरता ही कब है किसी के पास,
फिर उसने कहा, ठहरता तो कुछ भी
नहीं है, ना प्रेम. और..ना ही दर्द,
मैंने उसकी तरफ गौर से देखते हुए
कहा, और तुम..?💔🤔
╭─❀🥺⊰╯
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♦❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙♦
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-ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़