“सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया”
किसी ने लूट लिया और हमें ख़बर न हुई
खुली जो आँख तो बर्बाद मुहब्बत देखी
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चराग़ जलाए तो क्या किया
(मैं वो कली हूँ जो न बहारों में खिल सकी) -२
वो दिल हूँ जिसको प्यार की मंज़िल न मिल सकी
मंज़िल न मिल सकी
पत्थर पे हमने फूल चढ़ाए तो क्या किया
(जो मिल न सका प्यार ग़म की शाम तो मिले)-२
इक बेवफ़ा से प्यार का अंजाम तो मिले
(ऐ मौत जळ आ) -२ ज़रा आराम तो मिले
दो दिन ख़ुशी के देख न पाए तो क्या किया
शायरी
तलत
❤️