विषय - तस्वीर
बात उन दिनों जब चली शादी की,
मन में अनेकों ख्याल छाए थे।
कैसी, क्या वो दिखती होगी,
जज्बात अनेकों उमड़ आए थे।।
कुछ लोग रिश्ते के साथ में,
उसकी एक तस्वीर लाए थे।
उसके गुणगान गाकर वो,
फोटो प्रेम से हमें थमाएं थे।।
देखकर उसकी वह तस्वीर,
चेहरे पर मुस्कान आई थी।
सादगी में भी कमाल की थी वो,
सुंदरता उसने ऐसी पाई थी।।
गौण रंग नहीं था उसका,
श्यामा रंग उसने पाया था।
सरल सौम्य उसकी छवि ने,
मेरे मन को गुदगुदाया था।।
सुंदर से दो बड़े , नयन नशीले,
मदहोश करने का दम रखते थे।
नजर भरकर जो भी देख ले,
सबको ही आकर्षित करते थे।।
नाक लंबी और होंठ गुलाबी,
आंखों में थी एक खुमारी।
शर्म हया की वह थी मूरत,
दिखने में लगती थी प्यारी।।
उसकी इस सुंदर छवि को देखकर,
मैनें अपनी हामी,भर दी थी।
मेरे मन की मर्जी जानकर,
घरवालों ने भी रजामंदी दे दी थी।।
उसकी उस तस्वीर को मैं,
पर्स में आज भी रखता हूं।
पहली और आखिरी पसंद है वो,
यह बात कहने से,मैं नहीं हिचकता हूं।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री