आखें....
Dil ki Awaaz.....poem
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वो आखें
जीने में ढूंढता रहा रात दिन
वो मेरी अपनी ही थी
वो मुझे तब पता चला
जब मेने
अपने आप को उसकी आखों में देखा
ऐसा लगता है की
वो नजरे मुझे
आज भी तलाशती है
मेरा पता पूछती हैं
मगर ये तो
उसकी नजर मे देखता हूं
में यकीन कैसे कर लू
उन फरेबी नजरो का
आखें तो धोखा नहीं दे सकती