विषय - स्त्री मन
एक स्त्री के सोलह श्रृंगार को,
जाने कितने लोग सराहते है।
पर साजन की एक तारीफ पर,
सजनी के रूप में चार चांद लग जाते हैं।।
उसका कोई साथ दे या न दे,
पर साजन से साथ की उम्मीद लगाती है।
जमाने को भी जीत लेंगे एक दिन,
बस साथी से निभाने की चाह जताती है।।
प्रेम,समर्पण और सम्मान का भाव,
यही अपने जीवनसाथी से वह चाहती है।
उसकी कोमल भावनाएं कभी आहत न हो,
बस इतनी सी चाहत ले, साजन के घर आती हैं।।
साथ साजन का हर कदम पर बना रहे,
जीवन का उतार चढ़ाव मिलकर झेल लेंगे।
सात जन्मों का मजबूत बंधन हो,
तो संग जिएंगे और संग ही मरेंगे।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री