विषय - बदलता शहर
खेत खलिहान कटते जा रहे,
कॉलोनी, मॉलों ने रूप लिया।
अपनी सुख सुविधाओं के लिए,
शहर को पूरा अब बदल दिया।।
जगह जगह दुकानें बिल्डिंग,
दूर दूर तक नजर आती हैं।
पुराने समय की पुरानी चीजें,
अब विलुप्त पाई जाती है।।
देखते ही देखते कुछ वर्षों में,
आंखों देखा हाल बदल गया।
मेल मिलाप जिन लोगों में था,
स्वार्थ भाव ने अब घर किया।।
भौतिक जीवन के चलते हुए,
संस्कारों को दरकिनार किया।
पहले और आज के समय में,
अपना शहर कितना बदल गया।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री